ईश्वर ने मनुष्य के लिए कुछ नियम बनाये हैं और मानव को इन नियमो का पालन करना भी चाहिए |
मानव जब यह सोचने लगे कि उसे रोकने या टोकने वाला संसार मे कोई नहीं है तो यह उसकी भूल है  |
मानवीय सीमाओं और समझ से परे भी एक शक्ति है  जो इस संसार का संचालन करती है | मनुष्य अपने अहंकार में यह भूल जाता हे कि उसको जन्म देने वाली शक्ति  उसका सर्वनाश भी कर सकती है |
उस परम ईश्वर के अवतरण का आधार यही होता है | हम सब उस परब्रह्म का ही अंश है मानव यह समझ नहीं पाता |


आज के युग में जो भी अमानवीय घटनाये हो रही है और जो भी इन सब के करक है  उनका विनाश निश्चित है
उनके अहंकार का नाश होगा | ईश्वर ने मानव जीवन बहुत सुन्दर बनाया है  किन्तु मनुष्य इसे उजाडने में लगा हुआ है , मानव सत्य को केवल इसलिए नहीं स्वीकारता क्यों की वह उसके अहम् को चोट पहुँचाता है |

मानव ये जान ले कि वह सत्य को स्वीकारे या ना स्वीकारे पृकृति में होता वही जो उसने निर्धारित कर रखा हे
वह मनुष्य जो यह सोचता है कि सत्य को अस्वीकार करने या उस से दूर चले जाने पर पर सत्य की मृत्यु हो जाएगा तो यह संभव नहीं | सनातन सत्य अमर है कोई भी मानवीय शक्ति उसे नहीं बदल सकती |


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