नीतिशास्त्र - बिलाव और चूहे की कहानी Bilav or chuhe ki Kahani in Hindi


किसी वन में एक वट का विशाल वृक्ष था | उसी की जड़ो में बिल बनाकर एक बुद्धिमान चूहा रहता था तथा उसकी शाखा पर एक बिलाव रहता था | वह बहुत समय से पक्षियों को खाकर बड़े आनंद से वही रहता था | एक बार एक चांडाल ने वन में आकर डेरा डाल लिया , वह सूर्यास्त होने पर नित्य ही अपना जाल फैला देता था | बिलाव हालाँकि बहुत सावधान रहता था फिर भी वह एक दिन जाल में फस गया | यह देखकर चूहा निर्भय होकर वन में अपना आहार खोजने लगा | इतने में ही उसकी नज़र एक न्योले पर पड़ी जो उसी की घात में बैठा था | इधर वह न्योला अपना भक्ष्य पकड़ने के लिए जीभ लपलपाते हुए पृथ्वी पर खड़ा था उधर चूहे ने ऊपर देखा तो उसी वट की शाखा पर बैठा हुआ अपना एक शत्रु और भी दिखाई दिया वह वट के खोखले में रहने वाला उल्लू था | इन दोनों को देखकर चूहे को बड़ा भय और चिंता हुई |वह सोचने लगा 

जब कोई जीव आपत्ति में पड़ जाये उसे जैसे बने अपने प्राणो की रक्षा करनी चाहिए | इस समय मेरे ऊपर जो आपत्ति आई है उसमे सभी ओर से प्राण जाने की आशंका है | यदि मै पृथ्वी पर भागता हु न्योला मुझे खा जायेगा, पेड़ पर चढ़ता हु तो उल्लू मुझे नहीं छोड़ेगा और यदि जाल काट देता हु बिलाव नहीं छोड़ेगा परन्तु ऐसी स्थिति में मुझ जैसे बुद्धिमान को घबराना नहीं चाहिए | बिलाव मेरा कट्टर शत्रु है किन्तु इस समय यह बड़ी विप्पति में पड़ गया है | अच्छा देखु तो सही अपने स्वार्थ के लिए भी यह मुर्ख मेरी बात मानता है या नहीं संभव है विपत्तिग्रस्त होने के कारण यह मुझसे मेल कर ले | बुद्धिमानो का ऐसा मत है की जीवन रक्षा के लिए बलवान व्यक्ति को भी अपने शत्रु से मेल कर लेना चाहिए | बुद्धिमान शत्रु भी अच्छा होता है और मुर्ख मित्र भी किसी काम का नहीं होता | अब मेरे जीवन की रक्षा तो मेरे शत्रु बिलाव के द्वारा ही हो सकती है , अतः मै इसे इसके जीवन रक्षा की सम्मति देता हु |
तब उस परिणामदर्शी चूहे ने बिलाव को समझाते हुए इस प्रकार कहा - 'भैया बिलाव ! अभी जीवित हो न? मै इस समय तुमसे एक मित्र की तरह बोल रहा हूँ और चाहता हु की तुम्हारे जीवन की रक्षा हो जाये क्योकि इसमें हम दोनों का ही हित है | यदि तुम मुझे मारना न चाहो तो मै तुम्हारा उद्धार कर सकता हु | मैंने तुम्हारे और अपने लिए एक उपाय सोचा है उसमे हम दोनों का हित हो जायेगा| देखो यह न्योला और उल्लू मेरी घात में बैठे हुए है | तुम मेरी सहायता बिना स्वयं तो इस जाल को काट नहीं सकोगे यदि तुम मुझे न मारो तो मै तुम्हारा जाल काट  सकता हूँ | इसी तरह हम दोनों का मेल हो सकता है | चूहे की बात सुनकर बुद्धिमान बिलाव ने उसकी बात मान ली | चूहे ने बिलाव से कहा - इस समय मुझे न्योले और उल्लू से बड़ा डर लग रहा है मै तुम्हारे नीचे छुप जाना चाहता हु तुम मुझे इनसे बचा लो इसके बाद में तुम्हारा जाल काट दूंगा  - यह बात मै तुमसे सत्य की शपथ करके कहता हु |


इस प्रकार बिलाव को उसका स्वार्थ अच्छी तरह समझा कर चूहा आनंद से उसकी गोद में जा बैठा | बिलाव ने भी उसे निशंक कर दिया यह देखकर न्योला और उल्लू निराश होकर चले गए | चूहा देश काल की गति को अच्छी तरह जानता था , इसलिए वह बिलाव के शरीर पर चढ़कर चांडाल के आने की प्रतीक्षा करते हुए धीरे धीरे जाल को काटने लगा | बिलाव ने देखा कि चूहा कार्य फुर्ती से कार्य नहीं कर रहा है तो बिलाव ने चूहे से कहा - तुम जल्दी क्यों नहीं करते | देखो चांडाल आता होगा |


इस पर चूहे ने कहा - भैया चुप रहो घबराओ मत | मै समय को खूब समझता हु ठीक अवसर पर कभी नहीं चुकूँगा | यदि मैंने समय से पहले तुम्हे छुड़ा दिया तो तुम्ही से मुझे भय हो जायेगा इसलिए प्रतीक्षा करो जिस समय मै देखूंगा की चांडाल हथियार लेकर इधर ही आ रहा है उस समय तुम्हे भयभीत होता देखकर मै तुम्हारे बंधन काट दूंगा उस समय छूटते ही तुम्हे भयवश पेड़ पर चढ़ना सूझेगा और मै अपने बिल में घुस जाऊंगा |
चूहे की बातें सुनकर बिलाव ने कहा 'अच्छे आदमी मित्र के कामो को प्रेमपूर्वक किया करते है , देखो मैंने तुम्हे अापत्ति से तुरंत बचा लिया था तुम्हे भी फुर्ती के साथ मेरा काम करना चाहिए | यदि अज्ञानवश मेरे द्वारा कभी तुम्हारा अहित हुआ हो तो मुझे क्षमा कर दो |
चूहा बड़ा नीतिज्ञ और बुद्धिमान था उसने बिलाव से कहा ' जिस मित्र से भय की संभावना हो उसका काम इस प्रकार करना चाहिए जैसे बाजीगर सर्प के मुह से हाथ बचाकर ही उसे खिलाता है | जो व्यक्ति बलवान के साथ संधि कर के अपनी रक्षा का ध्यान नहीं रखता वह मुर्ख है | इसी तरह बातें करते करते रात बीत गयी | सवेरा होते ही चांडाल अपने हाथ में शस्त्र लिए आता हुआ दिखाई दिया उसे देखते ही बिलाव भय से व्याकुल हो गया उसे भयभीत देखकर चूहे ने तुरंत ही जाल काट दिया | जाल से छूटते ही बिलाव पेड़ पर चढ़ गया और चूहा उस भयंकर शत्रु के पंजे से छूटकर अपने बिल में घुस गया |

इस प्रकार अकेला और दुर्बल होने पर भी चूहे ने बुद्धिबल से अपने शत्रुओं को छका दिया |

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