गणेश चतुर्थी - क्यों काटा प्रलयंकारी शिव ने बालक गणेश का मस्तक

श्री गणेश जन्म कथा 

क्यों काटा भगवान् शंकर ने बालक गणेश का मस्तक 

भगवान गणेश प्रथम पूज्य देवता जिन्होंने अपनी माता की आज्ञा पालन को सर्वोपरि माना | जन्म लेते ही जिनकी प्रथम भेंट भगवान् शंकर से हुई तथा कर्तव्य पालन हेतु यह जाने बिना की वे कौन है भगवान् शिव को रोक दिया | क्रोध में आकर भगवान् शिव द्वारा उनका मस्तक काटा जाना इसके पीछे का कारण जानना ही गणेश कथा सुनने की सफलता हो सकती है | किन्तु यह भी सत्य ही है की  ईश्वर से कभी कोई कार्य अनजाने में नहीं होता | भगवान् शिव त्रिकालदर्शी थे वे जानते थे की उनकी पत्नी पार्वती ने गणेश को क्यों उत्पन्न किया था किन्तु उन्होंने गणेश का वध अपने महात्रिशूल से कर दिया 


 कहा जाता है भगवान गणेश की उत्पत्ति माता पार्वती ने अपने मैल से की थी अतःउनमे देवताओं को हराने के पश्चात अहंकार व्याप्त हो गया अतःभगवान् शिव को उनका वध करना पड़ा | गणेश वध के उपरांत जब माता पार्वती ने अपने ९ रूपों को आज्ञा दी कि वे सृष्टि में प्रलय ले आये  तब देवता भयभीत होकर भगवान् भोलेनाथ के पास पहुंचे फिर उन्होंने गणेश के शरीर से एक हाथी का सिर जोड़कर उन्हें जीवित कर दिया | 


कुछ प्रश्न भी यह भी उठते है जो मस्तक काटा गया था वापस वही क्यों नहीं जोड़ा गया , प्रायः यह सुनने में आता है कि भगवान् शिव के त्रिशूल का तेज इतना था की जैसे ही वह गणेश के मस्तक से टकराया वह भस्म हो गया

इस प्रकार जन्म हुआ विघ्नहरता श्री गणेश का जिनके आने से सृष्टि में शुभता का आगमन हुआ | उनका जन्म चतुर्थी के दिन हुआ इसीलिए यह दिन गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है | 

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